भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद लगातार जारी है। इसको लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग चल रही है। अब इस मुद्दे पर पूर्व रक्षामंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार नेरक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बचाव किया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।यह भूलना नहीं चाहिए कि चीन ने 1962 युद्ध के बाद लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया था।
महाराष्ट्र में राकांपा कांग्रेस की सहयोगी है और वो शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ीसरकार का हिस्सा है। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को कवर करता है।
राहुल गांधी के सवाल के जवाब में पवार ने यह टिप्पणीकी
शरद पवार की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप के बाद आई है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कहते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने भारतीय क्षेत्र को चीन को समर्पित कर दिया था। 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में 20भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसमें चीन की सेना को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
‘भारतीय सेना सीमा पर हमेशा सतर्क रहती है’
राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को तुरंत रक्षा मंत्री की विफलता के रूप में नहीं देखा जा सकता, क्योंकि भारतीय सैनिक सीमा पर हमेशा सतर्क रहते हैं। सातारा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा, “यह पूरा प्रकरण बेहद संवेदनशीलहै। चीन की ओर से ही गलवान घाटी में उकसाने की कोशिश हुई।”
‘दिल्ली में बैठे रक्षामंत्री की विफलता नहीं है’
पवार ने आगे कहा, “भारत अपनी सीमा के भीतर गालवान घाटी में एक सड़क का निर्माण कर रहा था। चीनी सैनिकों ने बीच में आकर अतिक्रमण का प्रयास किया। हमारे सैनिकों के साथ धक्कामुक्की की। यह किसी की किसी की विफलता नहीं थी। यदि पेट्रोलिंग के दौरान कोई आपके क्षेत्र में आता है, तो हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षामंत्री की विफलता है।”
उन्होंने आगे कहा, “वहां पर पेट्रोलिंग चल रही थी। लड़ाई हुई, इसका मतलब है कि आप सतर्क थे। अगर आप नहीं होते तो आपको एहसास भी नहीं होता कि वे (चीनी सैनिक) कब अंदर आ जाते। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि इस समय इस तरह के आरोप लगाना सही है।”
‘इतनी बड़ी जमीन का अतिक्रमण नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए’
राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप का जवाब देते हुएपवार ने कहा कि कोई भी यह नहीं भूल सकता है कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बादचीन ने भारत की लगभग 45,000 वर्ग किमी भूमि पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा, “वह जमीन अभी भी चीन के पास है। मुझे नहीं पता कि क्या वे (चीन) अब किसी क्षेत्र पर फिर से अतिक्रमण कर चुके हैं या नहीं। लेकिन, जब मैं एक आरोप लगाता हूं, तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था।”
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी भूमि का अतिक्रमण किया गया, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
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भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद लगातार जारी है। इसको लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग चल रही है। अब इस मुद्दे पर पूर्व रक्षामंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार नेरक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बचाव किया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।यह भूलना नहीं चाहिए कि चीन ने 1962 युद्ध के बाद लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया था।महाराष्ट्र में राकांपा कांग्रेस की सहयोगी है और वो शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ीसरकार का हिस्सा है। भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को कवर करता है।राहुल गांधी के सवाल के जवाब में पवार ने यह टिप्पणीकीशरद पवार की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस आरोप के बाद आई है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कहते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने भारतीय क्षेत्र को चीन को समर्पित कर दिया था। 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में 20भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसमें चीन की सेना को भी बड़ा नुकसान हुआ है।’भारतीय सेना सीमा पर हमेशा सतर्क रहती है’राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को तुरंत रक्षा मंत्री की विफलता के रूप में नहीं देखा जा सकता, क्योंकि भारतीय सैनिक सीमा पर हमेशा सतर्क रहते हैं। सातारा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा, “यह पूरा प्रकरण बेहद संवेदनशीलहै। चीन की ओर से ही गलवान घाटी में उकसाने की कोशिश हुई।”‘दिल्ली में बैठे रक्षामंत्री की विफलता नहीं है’पवार ने आगे कहा, “भारत अपनी सीमा के भीतर गालवान घाटी में एक सड़क का निर्माण कर रहा था। चीनी सैनिकों ने बीच में आकर अतिक्रमण का प्रयास किया। हमारे सैनिकों के साथ धक्कामुक्की की। यह किसी की किसी की विफलता नहीं थी। यदि पेट्रोलिंग के दौरान कोई आपके क्षेत्र में आता है, तो हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षामंत्री की विफलता है।”उन्होंने आगे कहा, “वहां पर पेट्रोलिंग चल रही थी। लड़ाई हुई, इसका मतलब है कि आप सतर्क थे। अगर आप नहीं होते तो आपको एहसास भी नहीं होता कि वे (चीनी सैनिक) कब अंदर आ जाते। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि इस समय इस तरह के आरोप लगाना सही है।”‘इतनी बड़ी जमीन का अतिक्रमण नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए’राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप का जवाब देते हुएपवार ने कहा कि कोई भी यह नहीं भूल सकता है कि दोनों देशों के बीच 1962 के युद्ध के बादचीन ने भारत की लगभग 45,000 वर्ग किमी भूमि पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा, “वह जमीन अभी भी चीन के पास है। मुझे नहीं पता कि क्या वे (चीन) अब किसी क्षेत्र पर फिर से अतिक्रमण कर चुके हैं या नहीं। लेकिन, जब मैं एक आरोप लगाता हूं, तो मुझे यह भी देखना चाहिए कि जब मैं सत्ता में था तो क्या हुआ था।”उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी भूमि का अतिक्रमण किया गया, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
राकांपा प्रमुख शनिवार को सातारा जिले के दौरे पर गए थे। इस दौरान पवार ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।Read More