सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने देश में कोरोना समेत अन्य किसी भी वैक्सीन के ट्रायल और मार्केटिंग के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सीडीएससीओ से मंजूरी मिलने के बाद दो बार जानवरों पर ट्रायल करना होगा। पहले एक बार ही होता था। इसके अलावा मार्केट में लॉन्च करने के बाद भी वैक्सीन के असर पर नजर रखनी होगी।
इन नियमों का करना होगा पालन
- वैक्सीन स्ट्रेन सुरक्षित है या नहीं पहले इसकी पहचान करना।
- इन विट्रो स्ट्रेन के जरिए वैक्सीन का पूरा कैरेक्टराइजेशन करना। मसलन वैक्सीन में किन-किन चीजों का प्रयोग किया गया है।
- प्री क्लीनिकल ट्रायल का पहला फेज होगा। इसमें छोटे जानवरों (चूहा, खरगोश, गिनी सुअर, हैमस्टर्स आदि) पर ट्रायल करना।
- छोटे जानवरों पर ट्रायल सफल होने के बाद इसे बड़े जानवरों पर ट्रायल करना होगा। उपलब्धता के ऊपर जानवर का सलेक्शन कर सकते हैं।
- वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं? इसके लिए फेज-1 ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा। इसमें 100 से कम लोगों पर परीक्षण किया जा सकता है।
- फेज-1 सफल होने पर ही फेज-2 ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा। इसमें इम्यून प्रोटेक्शन जैसी चीजों पर अध्ययन करना होगा। इसके लिए एक हजार से कम लोगों पर ट्रायल किया जा सकता है।
- फेज-3 ह्यूमन ट्रायल हजार या इससे ज्यादा लोगों पर किया जा सकता है। इसमें वैक्सीन की क्षमता का भी आंकलन करना होगा।
- ह्यूमन ट्रायल के तीन फेज में सफलता मिलने के बाद ही ऑर्गेनाइजेशन से इसे अप्रूव किया जाएगा।
- अप्रूव होने के बाद मार्केटिंग होगी और मार्केट में लॉन्च करने के बाद भी वैक्सीन के नतीजों पर निगरानी रखनी होगी।
7 कंपनियों को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की इजाजत
सीडीएससीओ ने बताया कि ऑर्गेनाइजेशन से अभी 7 कंपनियों को कोरोना वैक्सीन की प्री क्लीनिकल ट्रायल, एग्जामिनेशन और एनालिसिस के लिए मंजूरी दी गई है। सभी लोग गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं।
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सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने देश में कोरोना समेत अन्य किसी भी वैक्सीन के ट्रायल और मार्केटिंग के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक अब वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सीडीएससीओ से मंजूरी मिलने के बाद दो बार जानवरों पर ट्रायल करना होगा। पहले एक बार ही होता था। इसके अलावा मार्केट में लॉन्च करने के बाद भी वैक्सीन के असर पर नजर रखनी होगी। इन नियमों का करना होगा पालन वैक्सीन स्ट्रेन सुरक्षित है या नहीं पहले इसकी पहचान करना।इन विट्रो स्ट्रेन के जरिए वैक्सीन का पूरा कैरेक्टराइजेशन करना। मसलन वैक्सीन में किन-किन चीजों का प्रयोग किया गया है।प्री क्लीनिकल ट्रायल का पहला फेज होगा। इसमें छोटे जानवरों (चूहा, खरगोश, गिनी सुअर, हैमस्टर्स आदि) पर ट्रायल करना।छोटे जानवरों पर ट्रायल सफल होने के बाद इसे बड़े जानवरों पर ट्रायल करना होगा। उपलब्धता के ऊपर जानवर का सलेक्शन कर सकते हैं।वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं? इसके लिए फेज-1 ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा। इसमें 100 से कम लोगों पर परीक्षण किया जा सकता है।फेज-1 सफल होने पर ही फेज-2 ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा। इसमें इम्यून प्रोटेक्शन जैसी चीजों पर अध्ययन करना होगा। इसके लिए एक हजार से कम लोगों पर ट्रायल किया जा सकता है।फेज-3 ह्यूमन ट्रायल हजार या इससे ज्यादा लोगों पर किया जा सकता है। इसमें वैक्सीन की क्षमता का भी आंकलन करना होगा।ह्यूमन ट्रायल के तीन फेज में सफलता मिलने के बाद ही ऑर्गेनाइजेशन से इसे अप्रूव किया जाएगा।अप्रूव होने के बाद मार्केटिंग होगी और मार्केट में लॉन्च करने के बाद भी वैक्सीन के नतीजों पर निगरानी रखनी होगी। 7 कंपनियों को कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की इजाजत सीडीएससीओ ने बताया कि ऑर्गेनाइजेशन से अभी 7 कंपनियों को कोरोना वैक्सीन की प्री क्लीनिकल ट्रायल, एग्जामिनेशन और एनालिसिस के लिए मंजूरी दी गई है। सभी लोग गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ऑर्गेनाइजेशन ने कहा- ह्यूमन ट्रायल के तीनों फेज में सफलता मिलने के बाद ही मार्केटिंग के लिए अप्रूव किया जाएगा। Read More