उत्तर प्रदेश के मथुरा में प्रस्तावित कृष्ण गोवर्धन रोड प्रोजेक्ट पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आप कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ नहीं गिरा सकते हैं।सड़कें पेड़ों के पास से घूमकर क्यों नहीं जा सकती हैं? इससे तो केवल स्पीड ही कम होगी। अगर स्पीड कम होगी तो इससे एक्सीडेंट भी कम होंगे और ये ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
CJI एसए बोबडे की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि पेड़ों की वैल्यू बताते वक्त यह भी ध्यान में रखें कि अपनी पूरी उम्र में उस पेड़ ने प्रकृति को कितनी ऑक्सीजन दी है। जिन हजारों पेड़ों को गिराने का प्रस्ताव दिया है, उनकी उम्र और ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने की क्षमता के आधार पर वैल्यूएशन करें। अगर सड़कों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देंगे तो इस तरह से ये पेड़ों और जिंदगियों को ही बचाएंगी।
पेड़ों का न कटना कोई हानिकारक प्रभाव नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश PWD ने पेड़ों की काटने की मंजूरी मांगने के लिए एप्लीकेशन दाखिल की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के संबंध में केंद्रीय समितियों ने मंजूरी दे दी है। बेंच ने कहा- यह तो साफ है कि रोड के रास्ते में आने वाले पेड़ों को अगर नहीं काटा गया तो सड़क सीधी नहीं बनेगी और उस पर रफ्तार से गाड़ियां नहीं दौड़ सकेंगी। यह ऐसा प्रभाव तो नहीं है, जो कि हानिकारक हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पेड़ों की बड़ी उम्र के बारे में जानकारी नहीं
PWD विभाग ने भरोसा दिलाया है कि वो काटे गए पेड़ों की जगह दूसरी जगहों पर प्लांटेशन करके भरपाई करेंगे और इस तरह से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत केवल आंकड़ों वाले हर्जाने को स्वीकार नहीं कर सकती है, क्योंकि सरकार और विभाग दोनों ने ही पेड़ों की प्रकृति के बारे में नहीं बताया है कि ये झाड़ियां हैं या फिर बड़े पेड़।
इसके अलावा पेड़ों की उम्र के बारे में भी जानकारी नहीं है। अगर कोई 100 साल की उम्र वाला पेड़ काटा जाता है, तो स्वाभाविक तौर पर री-फॉरेस्टेशन करके उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
उत्तर प्रदेश के मथुरा में प्रस्तावित कृष्ण गोवर्धन रोड प्रोजेक्ट पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आप कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ नहीं गिरा सकते हैं।सड़कें पेड़ों के पास से घूमकर क्यों नहीं जा सकती हैं? इससे तो केवल स्पीड ही कम होगी। अगर स्पीड कम होगी तो इससे एक्सीडेंट भी कम होंगे और ये ज्यादा सुरक्षित रहेगा। CJI एसए बोबडे की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि पेड़ों की वैल्यू बताते वक्त यह भी ध्यान में रखें कि अपनी पूरी उम्र में उस पेड़ ने प्रकृति को कितनी ऑक्सीजन दी है। जिन हजारों पेड़ों को गिराने का प्रस्ताव दिया है, उनकी उम्र और ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने की क्षमता के आधार पर वैल्यूएशन करें। अगर सड़कों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देंगे तो इस तरह से ये पेड़ों और जिंदगियों को ही बचाएंगी। पेड़ों का न कटना कोई हानिकारक प्रभाव नहीं- सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश PWD ने पेड़ों की काटने की मंजूरी मांगने के लिए एप्लीकेशन दाखिल की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए पेड़ों के संबंध में केंद्रीय समितियों ने मंजूरी दे दी है। बेंच ने कहा- यह तो साफ है कि रोड के रास्ते में आने वाले पेड़ों को अगर नहीं काटा गया तो सड़क सीधी नहीं बनेगी और उस पर रफ्तार से गाड़ियां नहीं दौड़ सकेंगी। यह ऐसा प्रभाव तो नहीं है, जो कि हानिकारक हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पेड़ों की बड़ी उम्र के बारे में जानकारी नहीं PWD विभाग ने भरोसा दिलाया है कि वो काटे गए पेड़ों की जगह दूसरी जगहों पर प्लांटेशन करके भरपाई करेंगे और इस तरह से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत केवल आंकड़ों वाले हर्जाने को स्वीकार नहीं कर सकती है, क्योंकि सरकार और विभाग दोनों ने ही पेड़ों की प्रकृति के बारे में नहीं बताया है कि ये झाड़ियां हैं या फिर बड़े पेड़। इसके अलावा पेड़ों की उम्र के बारे में भी जानकारी नहीं है। अगर कोई 100 साल की उम्र वाला पेड़ काटा जाता है, तो स्वाभाविक तौर पर री-फॉरेस्टेशन करके उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
The Chief Justice said – Thousands of trees cannot be felled in the name of Krishna, why can’t roads turn around?Read More