कोरोना का साया दुनियाभर की की अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है। सबसे बड़ी मार टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है। शानो-शौकत के लिए जाने वाले कई लग्जीरियस क्रूज कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। हाल ही में कई क्रूज गुजरात के अलंग शिपयार्ड पहुंच चुके हैं। इनमें अब दुनिया के पहले ‘क्रिप्टो’ करंसी वाले क्रूज का नाम भी जुड़ गया है। कबाड़ में बदलने के लिए यह क्रूज गुजरात रवाना हो गया है।

इस ऑस्ट्रेलियन क्रूज का नाम पहले पैसिफिक डॉन था, जो दुनिया का पहला ‘क्रिप्टो’ करंसी वाला क्रूज है। बाद में इसके नए मालिक ने इसे एमएस सतोषी नाम दिया था। हालांकि, कोरोना के चलते क्रूज करीब एक साल से जिब्राल्टर में लंगर डाले खड़ा था। रखरखाव और इंश्योरेंस के भारी भरकम खर्च के चलते कंपनी अब इसे बेचकर कबाड़ में बदलने वाली है। इसके जनवरी के आखिर तक गुजरात पहुंचने की संभावना है। इसे खरीदने के लिए गुजरात की कई कंपनियों में होड़ लगी हुई है। भारत आने के बाद इसकी नीलामी की जाएगी।

जहाज के मालिक इसे तैरती सिटी बनाना चाहते थे
क्रूज की क्षमता करीब 2000 यात्रियों की है। इसके मालिक चाड एलवार्कतोव्स्की की योजना इसे एक तैरती हुई सिटी बनाने की थी। चाड इसमें बने 777 आलीशान कैबिनों को किराए पर चलाना चाहते थे, लेकिन लोगों की बीमा राशि के चलते योजना खटाई में पड़ गई। आखिरकार इसे बेचने का निर्णय लेना पड़ा।
‘क्रिप्टो’ क्रूज शिप मतलब?
दरअसल इस क्रूज की यात्रा खर्च का पूरा लेन-देन क्रिप्टो करंसी से ही होता था। क्रिप्टो करंसी से लेन-देन वाला यह दुनिया का पहला क्रूज था। क्रिप्टो करंसी के चलते मुसाफिरों का सारा खर्च सीक्रेट होता था। इसके चलते यह अमीर लोगों की पहली पसंद था।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोरोना का साया दुनियाभर की की अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है। सबसे बड़ी मार टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ी है। शानो-शौकत के लिए जाने वाले कई लग्जीरियस क्रूज कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। हाल ही में कई क्रूज गुजरात के अलंग शिपयार्ड पहुंच चुके हैं। इनमें अब दुनिया के पहले ‘क्रिप्टो’ करंसी वाले क्रूज का नाम भी जुड़ गया है। कबाड़ में बदलने के लिए यह क्रूज गुजरात रवाना हो गया है। जनवरी के अंत तक गुजरात पहुंचने के बाद होगी क्रिप्टो क्रूज की नीलामी।इस ऑस्ट्रेलियन क्रूज का नाम पहले पैसिफिक डॉन था, जो दुनिया का पहला ‘क्रिप्टो’ करंसी वाला क्रूज है। बाद में इसके नए मालिक ने इसे एमएस सतोषी नाम दिया था। हालांकि, कोरोना के चलते क्रूज करीब एक साल से जिब्राल्टर में लंगर डाले खड़ा था। रखरखाव और इंश्योरेंस के भारी भरकम खर्च के चलते कंपनी अब इसे बेचकर कबाड़ में बदलने वाली है। इसके जनवरी के आखिर तक गुजरात पहुंचने की संभावना है। इसे खरीदने के लिए गुजरात की कई कंपनियों में होड़ लगी हुई है। भारत आने के बाद इसकी नीलामी की जाएगी। यह पहला क्रूज था, जिसमें पूरा लेनदेन क्रिप्टो करंसी के जरिए होता था।जहाज के मालिक इसे तैरती सिटी बनाना चाहते थे क्रूज की क्षमता करीब 2000 यात्रियों की है। इसके मालिक चाड एलवार्कतोव्स्की की योजना इसे एक तैरती हुई सिटी बनाने की थी। चाड इसमें बने 777 आलीशान कैबिनों को किराए पर चलाना चाहते थे, लेकिन लोगों की बीमा राशि के चलते योजना खटाई में पड़ गई। आखिरकार इसे बेचने का निर्णय लेना पड़ा। ‘क्रिप्टो’ क्रूज शिप मतलब? दरअसल इस क्रूज की यात्रा खर्च का पूरा लेन-देन क्रिप्टो करंसी से ही होता था। क्रिप्टो करंसी से लेन-देन वाला यह दुनिया का पहला क्रूज था। क्रिप्टो करंसी के चलते मुसाफिरों का सारा खर्च सीक्रेट होता था। इसके चलते यह अमीर लोगों की पहली पसंद था। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
शिप के मालिक इसमें बने 777 आलीशान कैबिनों को किराए पर चलाना चाहते थे, लेकिन लोगों की बीमा राशि के चलते योजना खटाई में पड़ गई। (फाइल फोटो)Read More